चिट्ठियों की स्याही और सपनों की उड़ान: संस्मरण
(एक गाँव से मेडिकल कॉलेज तक की यात्रा)
कैसे एक बालक की पढ़ने की ललक और एक दोस्त को लिखी गई चिट्ठी ने दो ज़िंदगियाँ बदल दीं।
❇️1. किताबों से दोस्ती की शुरुआत
मुझे बचपन से ही पढ़ने का शौक था। पाठ्यक्रम की किताबों से बाहर की दुनिया मुझे हमेशा आकर्षित करती थी। गाँव नन्दसिया की मिट्टी में खेलते हुए जब मैं कक्षा 9 में पहुँचा, तो पढ़ाई के लिए चिरगाँव स्थित सरदार पटेल इंटर कॉलेज में दाखिला लिया।
साइकिल से कॉलेज की यात्रा सिर्फ शैक्षणिक नहीं थी, बल्कि आत्म-खोज की शुरुआत थी। लौटते समय मैं अकसर किताबों की दुकानों पर रुककर नई किताबें खरीदता — उपन्यास, जीवनियाँ, प्रेरणात्मक कहानियाँ। इन्हीं किताबों ने मेरे सोचने का नजरिया बदला, नैतिकता और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया, और मेरी लेखन शैली को माँज दिया।
❇️2. जब चिट्ठियाँ संवाद थीं
उस दौर में हम अपने रिश्तेदारों और मित्रों से पत्रों के माध्यम से जुड़ते थे। मेरी लेखन शैली की सराहना तब भी होती थी। एक तरह से, पत्र मेरे आत्म-अभिव्यक्ति के प्रारंभिक मंच थे।
❇️3. झाँसी का कालेज और नौरंगा का दोस्त
इंटर के बाद मैंने बिपिन बिहारी डिग्री कॉलेज, झाँसी में B.Sc. में दाखिला लिया। वहीं मेरी दोस्ती हमीरपुर के सुंदरलाल से हुई — एक सहज, बुद्धिमान और महत्वाकांक्षी छात्र। पहले साल की परीक्षा के बाद, जब वह ग्रीष्मावकाश में अपने गाँव नौरंगा गया, तो फिर कॉलेज नहीं लौटा।
जब मैंने उसे चिट्ठी लिखकर पूछा कि वह कब वापस आएगा, तो उसका जवाब था — “घर की स्थिति ठीक नहीं है, मैं पढ़ाई छोड़ रहा हूँ।”
❇️4. एक चिट्ठी, एक मोड़
उसकी बात पढ़कर मैं व्यथित हुआ। मैंने फिर एक चिट्ठी लिखी — दिल से, आत्मीयता से। उसमें न कोई भाषण था, न सलाह — सिर्फ एक दोस्त की सच्ची चिंता और आगे बढ़ने की उम्मीद थी। और चमत्कार हुआ।
एक महीने के भीतर सुंदरलाल वापस लौट आया। हमने मिलकर फिर से पढ़ाई शुरू की — जैसे नया जीवन मिला हो।
❇️5. सपनों को पंख मिले
हम दोनों ने न केवल B.Sc. पूरी की, बल्कि उसी साल CPMT परीक्षा में भी चयनित हुए। King George’s Medical College, Lucknow में हमें प्रवेश मिला। मेडिकल की पढ़ाई के बाद सुंदरलाल का चयन Post & Telegraph Dispensary (Central Govt.) में हुआ, और मैं UP State PMHS में नियुक्त हुआ।
समय अपनी रफ्तार से बीतता रहा। अब हम दोनों सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वह मुरादाबाद में रहता है और Ultra Rich India Club का सदस्य है, जबकि मैं लखनऊ में हूँ — किताबों के प्रति वही पुराना लगाव आज भी जीवित है।
❇️6. निष्कर्ष: शिक्षा, संवाद और संकल्प की कहानी
यह संस्मरण महज़ एक व्यक्ति की जीवनगाथा नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि एक पढ़ने की ललक, एक समय पर लिखा गया पत्र और एक दोस्ती की सच्चाई किस तरह दो ज़िंदगियों को आकार दे सकती है।
आज जब संवाद व्हाट्सएप पर सीमित है और दोस्ती “स्टेटस” से परखी जाती है, यह कहानी हमें याद दिलाती है कि संवाद, संवेदना और संकल्प मिलकर सपनों को ज़मीन से आसमान तक ले जा सकते हैं।

