🧭 भूमिका (परिचय) – लघुकथाएँ क्यों?
लघुकथा शब्दों की दुनिया में एक संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली विधा है। यह केवल 100–300 शब्दों में एक कहानी कह देती है — जिसमें जीवन की सच्चाइयाँ, रिश्तों की पेचीदगियाँ, समाज की विडंबनाएँ और मानवता की झलक समाहित होती है।
लघुकथा पढ़ने में सरल लगती है, लेकिन उसका प्रभाव पाठक के मन पर गहराई से पड़ता है।
नीचे प्रस्तुत हैं कुछ चयनित लघुकथाएँ, जो आपको सोचने पर मजबूर करेंगी।
📖 1. पुरस्कार
विषय: दिखावे की दुनिया
शहर के प्रतिष्ठित विद्यालय में “सर्वश्रेष्ठ माता-पिता” का पुरस्कार एक महिला को मिला।
शानदार कपड़े, ब्रांडेड बैग, चमचमाती कार और मंच पर आत्मविश्वास से भरी मुस्कान ने सबको प्रभावित किया।
कार्यक्रम खत्म होने के बाद वह महिला तेज़ी से बाहर निकली और अपने ड्राइवर से गाड़ी स्टार्ट करने को कहा।
पीछे से एक छोटी बच्ची दौड़ती आई — “मम्मी, क्या आज आप मेरे साथ घर चलेंगी?”
महिला झिझकती हुई बोली — “आज मीटिंग है बेटा, फिर कभी।”
📖 2. माँ की पढ़ाई
विषय: आत्म-सम्मान
छोटी रीमा ने स्कूल से आकर माँ से पूछा —
“माँ, आपने कभी स्कूल क्यों नहीं किया?”
माँ मुस्कराकर बोली — “पढ़ाई का मौका नहीं मिला।”
रीमा ने उत्साह से कहा — “तो अब करो ना! मेरी तरह किताबें पढ़ो, मैं भी सिखाऊँगी!”
उसी दिन माँ ने पहली बार अपनी बेटी की किताबों को गौर से देखा — शब्द थोड़े धुंधले थे, पर उम्मीद बिल्कुल साफ़।
📖 3. सेल्फी विद बुढ़ापा
विषय: वृद्धावस्था
रवि ने सोशल मीडिया पर “#SelfieWithMomDad” ट्रेंड में फोटो डाली, खूब लाइक्स आए।
माँ बोली, “बेटा, अच्छा लगा। अब कभी बैठकर बात भी कर लिया करो, बस पाँच मिनट।”
रवि मुस्कराया, “अरे माँ, टाइम कहाँ मिलता है! वो तो बस फोटो के लिए था।”
माँ चुप हो गई। अगली बार से उन्होंने भी कैमरे की तरफ देखना छोड़ दिया।
📖 4. ईमानदारी की कीमत
विषय: नैतिकता
सड़क किनारे मिला बटुआ लेकर रमेश पुलिस स्टेशन गया।
बटुए में ₹15,000 और कुछ कागज़ात थे।
थानेदार ने पूछा — “किसके हैं?”
रमेश बोला — “मुझे नहीं पता, लेकिन लौटाना ज़रूरी लगा।”
थानेदार हँसा — “आजकल कौन करता है ऐसा?”
रमेश ने मुस्कराकर कहा — “मैंने पैसे नहीं लौटाए, अपने संस्कार बचाए हैं।”
📖 5. दिखावा
विषय: सोशल मीडिया बनाम सच्चाई
रीना ने इंस्टाग्राम पर लिखा — “पति मेरे लिए भगवान हैं”
हर फोटो में दोनों मुस्कराते नजर आते।
रात को वही पति रीना से बोला — “अब ये मोबाइल बंद कर और रोटियाँ सेंक। ड्रामे बहुत हो गए।”
रीना चुपचाप फोन रखकर रसोई में चली गई।
सोशल मीडिया पर लाईक्स बढ़ते रहे, घर में सन्नाटा।
📖 6. कर्ज़
विषय: भावनात्मक बोझ
पिता जी की अर्थी उठी तो बेटे ने आँसू पोंछते हुए बड़बड़ाया —
“अब हर महीने पैसे भेजने की झंझट खत्म।”
पास खड़ी माँ की आँखें नम थीं, मगर मन अंदर से खाली।
वो जान गई थी, अब उसे जीने का कर्ज़ अकेले चुकाना होगा।
📖 7. बेटी का कमरा
विषय: स्त्री स्वाभिमान
पिता ने बेटी के कमरे में हल्का सा नॉक किया।
“बेटा, तुम्हारे ससुराल वालों ने फोन किया है, कुछ पैसे माँगे हैं…”
बेटी शांत थी। फिर बोली — “पापा, आप ने ही सिखाया था कि बेटी कोई बोझ नहीं होती। अब दहेज देना क्यों?”
पिता की आँखों में गर्व और चिंता एक साथ तैर गए।
📖 8. हिंदी का सम्मान
विषय: भाषा का महत्व
कॉर्पोरेट ऑफिस की मीटिंग में राहुल ने अंग्रेज़ी में प्रेजेंटेशन दिया।
बॉस ने कहा — “गुड वर्क। लेकिन क्लाइंट हिंदी भाषी है, अगली बार हिंदी में देना सीखो।”
राहुल थोड़े असहज हुए, फिर मुस्कराए।
अब उन्हें पहली बार लगा —
“हिंदी बोलना शर्म नहीं, सम्मान है।”
📖 9. जलेबी का टुकड़ा
विषय: बचपन की मासूमियत
छोटा रमू दुकान के बाहर खड़ा था, आँखें जलेबी पर टिकीं।
दुकानदार ने डाँटा — “खरीदना है क्या?”
रमू चुप रहा।
पास खड़े एक ग्राहक ने एक टुकड़ा जलेबी का उसके हाथ में रख दिया।
रमू की आँखों में चमक आई, बोला — “आपका बेटा बहुत खुश होगा अंकल, आपके पास दिल भी है।”
📖 10. कलम की ताकत
विषय: लेखन की शक्ति
एक गरीब लड़की ने अखबार में एक कविता भेजी —
“मैं भूखी हूँ, मगर ख्वाबों से नहीं डरती।”
संपादक ने प्रकाशित कर दी।
अगले दिन, कई लोगों ने उस कविता पर ध्यान दिया — किसी ने राशन भेजा, किसी ने किताबें।
लड़की ने पहली बार समझा — कलम सिर्फ़ लिखने के लिए नहीं, दुनिया बदलने के लिए होती है।
🧾 निष्कर्ष
लघुकथाएँ भले ही छोटी होती हैं, लेकिन उनके भीतर छिपा भाव, संदेश और विचार बहुत विशाल होते हैं।
हर पाठक इनमें अपने जीवन की कोई झलक पाता है। यही इनकी शक्ति है – जो सीधी दिल तक पहुँचती है।
आप भी चाहें तो अपनी लघुकथा हमें भेज सकते हैं। चुनिंदा रचनाओं को वेबसाइट पर स्थान दिया जाएगा।

