Milky’s Meadow में पहला कदम: एक नन्ही सुबह की कहानी
प्रस्तावना
Milky की दुनिया में हर दिन एक कविता है, हर खेल एक दर्शन, और हर सवाल एक नई खोज। Milky’s Meadow सिर्फ बच्चों का कोना नहीं — यह एक कल्पनाशील बगिया है जहाँ जिज्ञासा फूलती है, मासूमियत महकती है, और कहानियाँ तितलियों की तरह उड़ती हैं।
आज की सुबह: Milky और एक लाल भुनभुना
Milky आज सुबह बगीचे में बैठी थी, अपनी छोटी सी डायरी के साथ। अचानक एक लाल भुनभुना (ladybug) उसकी उंगली पर आ बैठा। Milky ने पूछा:
“तुम्हारे पंखों में कितनी कहानियाँ हैं?”
भुनभुना कुछ नहीं बोला, लेकिन Milky ने उसकी चुप्पी को एक कविता में बदल दिया।
Milky की पहली कविता:
लाल भुनभुना, छोटा सा तारा,
तेरे पंखों में क्या है प्यारा?
उड़ता है तू बिना बताये,
क्या तू भी सपने सुनाये?
मैं भी उड़ूँ, तेरे संग,
कहानी बन जाये हर रंग।
Meadow की भावना
Milky’s Meadow में हम हर दिन एक छोटी खोज करेंगे —
• कभी एक कविता,
• कभी एक कहानी,
• कभी एक सवाल जो जवाब से ज़्यादा सुंदर हो।
यह कोना बच्चों के लिए है, लेकिन बड़ों के भीतर के बच्चे के लिए भी।
अगली पोस्ट में:
Milky पूछेगी — “पेड़ क्या सोचते हैं जब हवा उन्हें गुदगुदी करती है?”
और हम साथ मिलकर उस सवाल का जवाब एक कहानी में ढालेंगे।
काश्वी और चंद्रलोक की रहस्यमयी यात्रा
काश्वी एक साधारण लड़की थी, लेकिन उसकी सखी थी परी रानी चंद्रिका, जो चंद्रलोक की रानी थी। वहाँ एक जादुई दर्पण-चित्र था, जिसमें चंद्रिका कहीं की भी झलक देख सकती थी।
एक दिन चंद्रिका ने कहा — “जब भी संकट आए, मुझे याद करना। मैं तुम्हें देख लूँगी और आ जाऊँगी।”
काश्वी अपने मामा जी से मिलने जा रही थी। स्टेशन पर अर्जुन नाम का लड़का घोड़ागाड़ी लेकर आया।
अचानक धरती फटी और वे एक गहरी दरार में गिर गए।
नीचे था एक चमकता नगर — गगनपुर।
गगनपुर में मकान शीशे के थे। लोग हवा में चलते थे।
काश्वी का घोड़ा शक्तिमान मनुष्यों की भाषा में बोलने लगा।
राजा तारकेश आया और उन्हें तांत्रिक भैरव के पास ले गया।
भैरव का शरीर काँटों से भरा था। उसने कहा —
“मैं तुम्हारी साँसें बंद कर दूँगा।”
काश्वी को घुटन होने लगी।
विवान तांत्रिक ने तलवार से भैरव को मार डाला।
भैरव मनुष्य नहीं था — वह पेड़ से उगा जीव था।
काश्वी, अर्जुन और विवान एक गुफा से निकलकर पहुँचे अनुप्रभा घाटी।
वहाँ सब अदृश्य थे — क्योंकि उन्होंने अदृश्य फल खा लिए थे।
काश्वी की बिल्ली भी अदृश्य हो गई।
एक अदृश्य स्वर ने कहा —
“जलविहारी वानस्पति का रस तलवों पर मल लो, पानी पर चल सकोगे।”
वे पहुँचे काष्ठलोक, जहाँ लकड़ी के पुतले रहते थे।
वे उड़ सकते थे, लेकिन बोल नहीं सकते थे।
लकड़ी मानवों ने उन्हें बंदी बना लिया।
अर्जुन ने लकड़ी की दीवार तोड़कर पंख चुराए।
सबने उड़कर वहाँ से भाग लिया।
एक सीढ़ी उन्हें एक बंद गुफा तक ले गई, जहाँ विशाल अजगर थे।
अर्जुन बोला —
“अब हम इनका भोजन बनेंगे।”
काश्वी ने चंद्रिका को याद किया।
दर्पण-चित्र में वह दृश्य उभर आया।
चंद्रिका ने इशारा किया —
काश्वी, अर्जुन, विवान और शक्तिमान — सब चंद्रलोक पहुँच गए।
कुछ दिन बाद काश्वी ने कहा —
“मामा जी मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे।”
चंद्रिका ने उन्हें दर्पण से धरती पर पहुँचा दिया।
काश्वी अब मामा जी के घर के बाहर थी — सकुशल।
लेकिन चंद्रिका से बिछड़ने का दुःख उसके मन में रह गया।
शक्तिमान अब फिर से सामान्य घोड़ा बन गया था — बोलना भूल चुका था।
काश्वी मुस्कराई — “कभी फिर मिलेंगे, चंद्रिका सखी!”

