भ्रष्टाचार का सच और पलायन का दर्द: ‘Ease of Doing Business’ के वादे और जमीनी हकीकत
भारत की वर्तमान आर्थिक स्थिति पर एक गहन विश्लेषण यह दर्शाता है कि सरकार द्वारा “Ease of Doing Business” और भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण के जो वादे किए गए हैं, उनके और जमीनी हकीकत के बीच एक गहरी खाई है। यह अंतर न केवल छोटे व्यवसायियों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि देश की संपदा और मानव पूंजी के बाहर पलायन का कारण भी बन रहा है।
WINTRACK INC की कहानी: भ्रष्टाचार का एक जीवंत उदाहरण
इस समस्या की पड़ताल के लिए चेन्नई स्थित एक निर्यात-आयात कंपनी, विंडट्रैक इंक का मामला प्रतीकात्मक है। कंपनी के प्रवीण गणेशन ने एक पत्र जारी कर घोषणा की कि वे 1 अक्टूबर, 2025 से भारत में अपना व्यवसाय बंद कर रहे हैं। इस निर्णय के पीछे का कारण सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा की गई लगातार उत्पीड़न और रिश्वत की मांग थी।

· जनवरी 2024: अधिकारियों ने 8 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की। इसकी रिकॉर्डिंग वरिष्ठ अधिकारियों को दिखाई गई, लेकिन समस्या अस्थायी रूप से हल हुई।
· फरवरी 2024: तीन शिपमेंट रोके गए और 5 लाख रुपये की मांग की गई। व्यवसायी को 3 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ा।
· जून 2024: एक अधिकारी ने शिपमेंट रोककर 1.5 लाख रुपये की मांग की। इस बार मना करने पर जवाबी कार्रवाई का सामना करना पड़ा।
· वैकल्पिक रास्ते का भी अंत: रिश्वत देने से इनकार करने के बाद, गणेशन ने अपनी पत्नी के नाम पर एक नई कंपनी पंजीकृत की। इसकी जानकारी मिलते ही अधिकारियों ने नई कंपनी से भी 3 लाख रुपये की मांग शुरू कर दी।
इस मामले ने प्रशासनिक तंत्र में गहरे पैठे एक चिंताजनक पहलू को उजागर किया – अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापन पर राजनीतिक और कॉर्पोरेट हितों का प्रभाव। इससे एक ऐसा वातावरण बनता है जहां भ्रष्ट अधिकारी निडर होकर काम करते हैं।
धन और लोगों का पलायन: एक गंभीर राष्ट्रीय चुनौती
WINTRACK जैसे छोटे उदाहरण एक बड़ी राष्ट्रीय समस्या की ओर इशारा करते हैं। हाल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं:
· हाल प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट 2025 के अनुसार, सिर्फ 2025 में ही 3,500 करोड़पति (मिलेनियर्स) भारत छोड़कर चले गए।
· इनके साथ लगभग 26.2 बिलियन डॉलर (करीब 2,32,000 करोड़ रुपये) की संपत्ति भी देश से बाहर चली गई।
· पिछले कुछ वर्षों में यह पलायन लगातार जारी रहा है: 2024 में 4,300, और 2023 में 5,100 करोड़पतियों ने देश छोड़ा।
· एक अनुमान के मुताबिक, पिछले 11 वर्षों में लगभग 2,32,00,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का देश से बाहर पलायन हुआ है।
ये लोग मुख्य रूप से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और पुर्तगाल जैसे देशों का रुख कर रहे हैं, जहाँ ‘गोल्डन वीज़ा’ और शून्य आयकर जैसी सुविधाएँ उन्हें आकर्षित करती हैं।
पलायन के प्रमुख कारण
रिपोर्ट्स और अनुभवों के आधार पर पलायन के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
1. बढ़ता भ्रष्टाचार: कर और सीमा शुल्क जैसे विभागों में व्यवस्थित रिश्वतखोरी।
2. विवेकाधीन कानूनी प्रक्रियाएँ: कानून का सत्ता के इशारे पर चलना और नौकरशाही का मनमाना रवैया।
3. कर विभाग का उत्पीड़न: आयकर विभाग द्वारा ‘टैक्स टेरर’ की शिकायतें आम हैं। आउटस्टैंडिंग टैक्स डिमांड 2019-20 के 10 लाख करोड़ से बढ़कर वर्तमान में 42 लाख करोड़ के पार पहुंच गई है।
4. राजनीतिक प्रभाव: व्यवसाय पर सत्ता के करीबी लोगों का दबदबा और पक्षपातपूर्ण वातावरण।
5. जीवन की गुणवत्ता में कमी: शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे की खराब स्थिति।

वादे और हकीकत के बीच की खाई
सरकार द्वारा “Ease of Doing Business”, “लाल फीताशाही का अंत” और “टेक्नोलॉजी के माध्यम से पारदर्शिता” के जो ओजस्वी वादे किए गए, वे जमीन पर दिखाई नहीं दे रहे। डिजिटल भुगतान (UPI) और ऑनलाइन पोर्टलों ने लेन-देन को पारदर्शी बनाया है, लेकिन इस पारदर्शिता का इस्तेमाल अक्सर कर अधिकारियों द्वारा “लक्ष्य पूर्ति” और उत्पीड़न के लिए किया जा रहा है। कोटक प्राइवेट सर्वे के अनुसार, हर चौथा अल्ट्रा-रिच भारतीय देश छोड़ना चाहता है।
निष्कर्ष: एक गंभीर चेतावनी
WINTRACK INC (विंट्रैक इंक) का मामला और करोड़पतियों के पलायन के आंकड़े एक गंभीर चेतावनी हैं। यह दर्शाते हैं कि अर्थव्यवस्था की नींव में दरार पड़ रही है। जब देश का उद्यमी और धन दूसरे देशों में जाता है, तो इससे रोजगार के अवसर कम होते हैं, निवेश घटता है और अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचता है।
सवाल यह है कि इस जटिल और सत्ता से जुड़े भ्रष्टाचार के तंत्र को तोड़ेगा कौन? जब तक नौकरशाही और कर विभागों में सुधार के साथ-साथ राजनीतिक हस्तक्षेप पर अंकुश नहीं लगेगा, तब तक संसद या लाल किले की प्राचीर से किए गए वादे केवल नारे बनकर रह जाएंगे। देश के सामने मौजूद यह सचाई, सरकारी दावों और जमीनी हकीकत के बीच के फर्क को साफ तौर पर उजागर करती है।

